अंतिम दिन (improved masterpiece version)
"अंतिम दिन" - सी. आचार्य
अंतिम दिन आ गए हैं,
तुम्हें है ये समझना,
मोमबत्ती में जलती अंत की ज्वाला,
बचपन वाली मुस्कान भी ओढ़ लेती मृत्यु की माला,
क्यों होता है यह अंत सारा?
करो याद वो राहें जहाँ मैंने है तुम्हें लिया,
वो जगहें जहाँ दोनों ने है साथ दिया,
वो सारे अनुभव जो तुमने मेरे साथ लिया,
क्योंकि अब तुम्हें है दौड़ना मेरे बिना, ये है मैंने जान लिया।
मेरे बिना ही क्यूँ मेरे साथिया?
दिन व दिन ठंड की पुकार,
मुझे करना ही होगा यह स्वीकार,
अंतिम दिनों में है ये पुकार,
रहना है मजबूत सुनलो तुम मेरी आखिरी बार,
थाम लो कसके मुझे तुम इस बार,
चला न जाऊँ दूर जबतक होके खार खार।
अंतिम दिन आ गए हैं,
तुम्हें है ये समझना,
मोमबत्ती में जलती अंत की ज्वाला,
बचपन वाली मुस्कान भी ओढ़ लेती मृत्यु की माला,
क्यों होता है यह अंत सारा?
करो याद वो राहें जहाँ मैंने है तुम्हें लिया,
वो जगहें जहाँ दोनों ने है साथ दिया,
वो सारे अनुभव जो तुमने मेरे साथ लिया,
क्योंकि अब तुम्हें है दौड़ना मेरे बिना, ये है मैंने जान लिया।
मेरे बिना ही क्यूँ मेरे साथिया?
दिन व दिन ठंड की पुकार,
मुझे करना ही होगा यह स्वीकार,
अंतिम दिनों में है ये पुकार,
रहना है मजबूत सुनलो तुम मेरी आखिरी बार,
थाम लो कसके मुझे तुम इस बार,
चला न जाऊँ दूर जबतक होके खार खार।