आंसू
"आंसू"- सि. आचायॆ
महल ताज का मैने बनाया,
फेहरिस्त सिंदलर की भि मैने बनाई ।
दौड़ाया उस लड़की को,
प्राणतरस देवदास की ओर।
मंदिर कोनाकॆ का मैने हे बनाया,
और बो छलांग भी, जीवन वाला।
मैने हे बाजी राऊत से अंग्रेज रूकाया,
गोलि गवॆ की भी दिलाई।
निर्माता हूं कवियों का,
लिखें जो मेरी कविता।
दृढ़ तुम्हे हे मे ही बनाता,
आंसू? इसको आंने दो।
महल ताज का मैने बनाया,
फेहरिस्त सिंदलर की भि मैने बनाई ।
दौड़ाया उस लड़की को,
प्राणतरस देवदास की ओर।
मंदिर कोनाकॆ का मैने हे बनाया,
और बो छलांग भी, जीवन वाला।
मैने हे बाजी राऊत से अंग्रेज रूकाया,
गोलि गवॆ की भी दिलाई।
निर्माता हूं कवियों का,
लिखें जो मेरी कविता।
दृढ़ तुम्हे हे मे ही बनाता,
आंसू? इसको आंने दो।